अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) ने 2018-20 के दौरान भारत में अपनी मौजूदगी को बनाए रखने के लिए कानूनी गतिविधियों (Legal Expenses) पर 8,546 करोड़ रुपये यानी 1.2 अरब डॉलर खर्च किए हैं। कंपनी द्वारा भारत में स्थित उसके कानूनी प्रतिनिधियों द्वारा कथित रूप से रिश्वत दिए जाने के मामले की जांच किए जाने की रिपोर्टों के बीच यह जानकारी सामने आई है।
Amazon फिलहाल फ्यूचर समूह के अधिग्रहण के मुद्दे पर कानूनी लड़ाई में उलझी है। इसके अलावा वह CII (Competition Commission of India) की जांच का भी सामना कर रही है। व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने दावा किया है कि अमेजन रेवेन्यू का 20 प्रतिशत वकीलों पर खर्च कर रही है, जिसपर सवालिया निशान खड़ा होता है।
पीटीआई के मुताबिक, कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) को लिखे एक पत्र में कहा कि जिस तरीके से Amazon और उसकी अन्य सहयोगी फर्म वकीलों के फीस पर खर्च कर रही हैं, उससे पता चलता है कि कंपनी किस तरीके से अपनी वित्तीय ताकत का दुरुपयोग कर भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दे रही है।
हालांकि, उन्होंने अपने दावे के समर्थन में कोई प्रमाण नहीं देते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) से जांच की मांग की है। इसके अलावा खंडेलवाल ने BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी के एक ट्वीट के जवाब में भी कहा कि सीबीआई जांच अब आवश्यक हो गई है क्योंकि आरोप है कि कई सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी गई है।
खंडेलवाल ने एक बयान में दावा किया कि अमेजन ने 2018-20 के दौरान कानूनी और पेशेवरों को फीस भुगतान के लिए 8,500 करोड़ रुपये की राशि खर्च की। इन दो साल में कंपनी का कारोबार 45,000 करोड़ रुपये रहा।
सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि अमेजन की छह फर्म- अमेजन इंडिया लिमिडेट (Holding Company), अमेजन रिटेल इंडिया प्राइवेट लि., अमेजन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लि., अमेजन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लि., अमेजन होलसेल (इंडिया) प्राइवेट लि. और अमेजन इंटरनेट सर्विसेज प्राइवेट लि. (AWS) ने 2018-19 में कानूनी फीस के रूप में 3,420 करोड़ रुपये खर्च किए वहीं 2019-20 में कंपनी ने 5,126 करोड़ रुपये कानूनी मामलों पर खर्च किए।
इससे पहले सोमवार को मॉर्निंग कन्टेक्स्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेजन ने कथित रूप से भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने के मामले में अपने कुछ विधि प्रतिनिधियों की जांच शुरू की है। 21 सितंबर को प्रकाशित इंडिया टुडे की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेजन ने 2019 और 2020 के दौरान लगभग 42,085 करोड़ रुपये के रेवेन्यू के मुकाबले कानूनी शुल्क पर लगभग 8,456 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।